KavitaPoetry

क्यों

कहते हैं एक स्त्री
दूजी स्त्री की पीड़ा समझती है
तो क्यों सास बहू के किस्से
सारी दुनिया कहती है?

क्यों पितृसत्ता के नियम
औरत कायम रखती है
एक पर हो अत्याचार तो दूजी
क्यों नही खिलाफत करती है?

क्यों नहीं उठ खड़ी होती स्त्री
जब दहेज दानव सर उठता है
क्यों देती है पुरुष का साथ
जब बेटा पत्नी पर हाथ उठाता है?

सड़कों पर दुर्व्यवहार
घर में भेदभाव व्यभिचार
बस बातों के संस्कृति संस्कार
बुरा लगे जो करे प्रतिकार।

क्यों सीता हर युग में
धरती की गोद में समाये
क्यों दोगले नियमों में जलती
सती राख हो जाये?

शिक्षित समाज का प्रपंच
कन्या को शिकार बनाता है
सीता की अग्निपरीक्षा का खेल
गर्भ से ही शुरू हो जाता है।

(Image credit: elCarito, Unsplash)

Do Subscribe

We don’t spam!

Leave a Reply