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सपने

सपनों के नील झरोखों से
सुन्दर एक उपवन  दिखता है
फूलों की खेती करता एक
पागल सा प्रेमी दिखता है
हाथों में लिए पतंगों की
डोरी मृग तरुणी से चलते हैं
श्वेत चन्दन की डालों पर
हीरे पन्ने से बिखरे हैं
सपनों की अनुपम नगरी में
नन्हा सा बालक फिरता है
यूं तो कई बरस पुरानी मैं
मन को सब हरा सा दिखता है|

 

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(Image: Unsplash)

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