Kavita

कुछ लड़कियाँ 

indian girl, girl child
बेल के जैसी लचीली होती हैं कुछ लड़कियाँ
जहां तहां बेहिसाब उड़ती फिरती
सपने देखा करती हैं कुछ लड़कियाँ
थाम लेती हैं कभी किसी गुमसुम पेड़ का तना
या स्वछन्द अपनी दिशा तय कर लेती हैं कुछ लड़कियाँ
काट कर जो रोप दी जाएं कुछ कोंपलें
गमलों में भी सख्त दरख़्त हो लेती हैं कुछ लड़कियाँ
आसमान को बढ़तीं सीध अपनी नज़र लगा
कभी धरा पर धरी समतल
उलझी सुलझी सी कुछ लड़कियाँ
धूप छांव बादल बहार
मौसमों को मापती कुछ लड़कियाँ
रूख सूख कर फिर हरा होने का हुनर
पैदा होती ही सीख लेती कुछ लड़कियाँ
ना मिले दो बूँद भी बारिश की तो क्या
ओस की बूंदों से मन भर लेती हैं कुछ लड़कियाँ
जो न दे दुनिया उन्हें दो गज़ भर की भी ज़मीं
सर्प सी फुँफकार भर बढ़ चढ़ लेती हैं कुछ लड़कियाँ
ना ना न कहना ये तुम कर सकती नहीं
बस वही कर जाने की ज़िद धर लेती हैं कुछ लड़कियाँ
बेल के जैसी लचीली होती हैं कुछ लड़कियाँ |

Do Subscribe

We don’t spam!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *