KavitaPoetry

शतरंज की बाज़ी

एक काव्य मंच पर ‘शतरंज की बाज़ी’ विषय कविता लिखने के लिए दिया गया और दो छोटी कविताएं लिखने का प्रयास किया है: पहली कविता : कुरुक्षेत्र के रण में खड़े कृष्ण बन अर्जुन के…

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सरहद

खींच लकीरें धरा के वक्ष पर, बाँध दीं हमने सीमायें ‘ये तेरा’ ‘ये मेरा’ के व्यूह में, बिखरी कोमल भावनाएं बंटी ज़मीं, गाँव, चौपाल, पर कैसे बाँटें मन के धागे सुख दुख के साथी संगी,…
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पढ़ेगा इंडिया

“अरी मुनिया तू आज इतनी जल्दी कैसे आ गयी? और चूड़ी के डब्बे ले आयी बाजार से?” “नहीं माई आज वहां की सड़क बंद है, हवलदार ने जाने नहीं दिया।” “हाय राम! आज हाट में…
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लोहे के दरवाज़े

अवनी ने फ्लैट का दरवाजा खोला। सामने सफाई वाली कमला खड़ी थी। “आओ, सुबह से इंतज़ार कर रही थी।” अवनी दरवाज़ा बंद कर रही थी कि ठीक सामने वाले फ्लैट से अगरबत्ती की मोहक खुशबू…

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अनाम

कभी कभी चलते चलते कोई ऐसा शख्स मिल जाता है जो लगता है जाना पहचाना होकर भी अनजाना लगता है पहले देखा है कहीं या शायद की है कभी बात भी कुछ अपनापन या आत्मीयता…
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Amma

Homemakers never retire. Amma didn’t retire too, she continued doing her household work by herself, maintaining her creative streak in everyday life. I sat staring at the woman sitting opposite to me, on the couch….