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अपना कोई कोना

जीवन की आपाधापी, मन के भीतर का कोलाहल अंत: में पड़ी कुछ सिलवटें, यादों की उलझी गिरहें समय की गठरी में लिपटे कुछ दर्द पुराने कुछ कहानियां कुछ किस्से अनसुने मनमाने पूरा पुलिंदा लेकर बैठी…

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कोशिश

पुराने गिले शिकवों को मुल्तवी किया जाए क्यों न कोशिश कर नए ढंग से जिया जाए तल्ख़ आवाज़ों के शोर में जो डूब गयी ग़ज़ल इस ख़ामोशी को तरन्नुम में पिरो ही दिया जाए इस…