आज़मा कर तो देखो
शायद हाथ तुम्हारे बने हों
गीली मटमैली माटी के लिए
बनाने को सुंदर प्याले तश्तरियां
जीवन के घूमते चाक पर
सुगढ़ उंगलियां कर दें मूर्त
नन्ही कोंपलों को
सूरज से मेल खाती
सुनहरी सरसों की बाली और
असंख्य सूरजमुखी से चेहरों में
हो समाया देवताओं का देवत्व
तुम्हारे श्रम के स्वेद में
कर के तो देखो
ऊंचे शिखर पर जड़
जीवन से विमुख
बैरागी महात्मानों को
ये सुख नसीब नहीं।
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(Image: Unsplash)