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सरहद

खींच लकीरें धरा के वक्ष पर, बाँध दीं हमने सीमायें ‘ये तेरा’ ‘ये मेरा’ के व्यूह में, बिखरी कोमल भावनाएं बंटी ज़मीं, गाँव, चौपाल, पर कैसे बाँटें मन के धागे सुख दुख के साथी संगी,…

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