Kavita

जीने का ढंग

Time

गुज़रते वक़्त के साथ

गुज़रती जाती हैं न जाने कितनी ख़्वाहिशें

रखा जाता है हर अधूरी ख़्वाहिश का हिसाब

दिल के उदास कोने में।

न जाने क्यों नहीं रख जाता

उन ख्वाबों का हिसाब

जो मुक़्क़मल हुए भरपूर।

दुआएं जो बिन मांगे ही हुई कुबूल

सच ही है, जितना मिले उतना कम

हासिल हो जाना भी एक सितम।

वक़्त के साथ बहना, चलते रहना

बिन हिसाब किताब

इमारत गढ़ते रहना

ये भी है जीने का एक ढंग।

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(Image: Pixabay)

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