Kavita

धनवान

नियामतें हैं बिखरी चारों ओर

धरती, आसमान, दरख़्त, जंगल

चिड़ियों का कलरव, हवाओं के गीत

पानी की सरगम, पेड़ों का संगीत

सुन पाओ तो ध्यान से सुनो

मन के कोलाहल से ऊपर

निकल कर अपने तन से बाहर

ज़रा कान लगा सुनो

किस बात की है कमी

हम से ज़्यादा धनवान

कोई नहीं।

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(Image: Unsplash)

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