कुछ लड़कियाँ
December 13, 2020
बेल के जैसी लचीली होती हैं कुछ लड़कियाँ जहां तहां बेहिसाब उड़ती फिरती सपने देखा करती हैं कुछ लड़कियाँ थाम लेती हैं कभी किसी गुमसुम पेड़ का तना या स्वछन्द अपनी दिशा तय कर लेती…
बेल के जैसी लचीली होती हैं कुछ लड़कियाँ जहां तहां बेहिसाब उड़ती फिरती सपने देखा करती हैं कुछ लड़कियाँ थाम लेती हैं कभी किसी गुमसुम पेड़ का तना या स्वछन्द अपनी दिशा तय कर लेती…
एक काव्य मंच पर ‘शतरंज की बाज़ी’ विषय कविता लिखने के लिए दिया गया और दो छोटी कविताएं लिखने का प्रयास किया है: पहली कविता : कुरुक्षेत्र के रण में खड़े कृष्ण बन अर्जुन के…
जीवन की आपाधापी, मन के भीतर का कोलाहल अंत: में पड़ी कुछ सिलवटें, यादों की उलझी गिरहें समय की गठरी में लिपटे कुछ दर्द पुराने कुछ कहानियां कुछ किस्से अनसुने मनमाने पूरा पुलिंदा लेकर बैठी…
A seed slept curled in Earth’s womb, Hoping to see the light, But the womb, parched and barren, Was wallowing in its plight. Then the seed felt an awakening, It’s flickering hope shone bright, A…