पच्चीस दिन पच्चीस कविताएं
May 7, 2020
Day 1 समय आसमान धुला, नीला, धूप में खिला खिला रुई के मुलायम फुग्गे जैसे बादलों से खेलता वो समय याद हो आया, जब माँ सफेद यूनिफार्म नील लगाकर धूप में सुखाती थी लगा जैसे…
Day 1 समय आसमान धुला, नीला, धूप में खिला खिला रुई के मुलायम फुग्गे जैसे बादलों से खेलता वो समय याद हो आया, जब माँ सफेद यूनिफार्म नील लगाकर धूप में सुखाती थी लगा जैसे…
दीये की जलती बुझती लौ टिमटिमाती हवाओं में, पर न हारे हिम्मत चाहे बवंडर हों लाख फ़िज़ाओं में दीवाली ने पूछा दीये से आखिर क्यों जलते हो तुम, साल दर साल भोली बाती को क्यों…