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छोटी सी बात


जिंदगी की दौड़ में

दौड़ते दौड़ते छूट गए हाथ जो

आओ अभी उन्हें थाम लो

कर दो बंद सब शिकायतें

नाराज़गियाँ किसी पुराने संदूक में

गिनती की सांसें हैं,

चुक न जाएँ कहीं

झुक जाओ अगर वो न झुकें

लगा लो गले जो न अल्फ़ाज़ मिलें

खोल दो घर के सभी दरवाजे खिड़कियाँ,

मुड़ के लौट न जाएँ वो यादों की हिचकियाँ

जो आधी रात उनींदे रोज दस्तक देती हैं

और सुबह के शोर में चुपचाप सो जाती हैं

थाम लो हाथ बिना ही किसी वजह

कारोबार की इस दुनिया में कोई अपना

फिर शायद

मिले ना मिले।

 

(Image Credit: Pixabay)

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