शतरंज की बाज़ी
August 31, 2020
एक काव्य मंच पर ‘शतरंज की बाज़ी’ विषय कविता लिखने के लिए दिया गया और दो छोटी कविताएं लिखने का प्रयास किया है: पहली कविता : कुरुक्षेत्र के रण में खड़े कृष्ण बन अर्जुन के…
अपना कोई कोना
July 31, 2020
जीवन की आपाधापी, मन के भीतर का कोलाहल अंत: में पड़ी कुछ सिलवटें, यादों की उलझी गिरहें समय की गठरी में लिपटे कुछ दर्द पुराने कुछ कहानियां कुछ किस्से अनसुने मनमाने पूरा पुलिंदा लेकर बैठी…
A Stubborn Yellow Flower
May 31, 2020
A seed slept curled in Earth’s womb, Hoping to see the light, But the womb, parched and barren, Was wallowing in its plight. Then the seed felt an awakening, It’s flickering hope shone bright, A…
पच्चीस दिन पच्चीस कविताएं
May 7, 2020
Day 1 समय आसमान धुला, नीला, धूप में खिला खिला रुई के मुलायम फुग्गे जैसे बादलों से खेलता वो समय याद हो आया, जब माँ सफेद यूनिफार्म नील लगाकर धूप में सुखाती थी लगा जैसे…