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बालपन

पकड़ अंगुली मेरी छोटी, ठुमक ठुमक कर चलती थी गले डाल कोमल सी बांहें, घंटों झूला करती थी कर कौतूहल से विस्मित अंखियाँ, ढेरों किस्से सुनती थी ज़रा उदास हो जाऊं मैं, झट गलबहियां करती…

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बरखा

फिर घिर आईं घटाएं काली, बरसन लगीं बूंद मतवाली ऊष्म धरा की तृप्त पिपासा, त्रस्त कृषक की जागी आशा। परबत नदी गगन जल प्लावित, इंद्र देव अवनी पर मोहित बरखा की बूंदों में नहाये, खग…
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शतरंज की बाज़ी

एक काव्य मंच पर ‘शतरंज की बाज़ी’ विषय कविता लिखने के लिए दिया गया और दो छोटी कविताएं लिखने का प्रयास किया है: पहली कविता : कुरुक्षेत्र के रण में खड़े कृष्ण बन अर्जुन के…
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सरहद

खींच लकीरें धरा के वक्ष पर, बाँध दीं हमने सीमायें ‘ये तेरा’ ‘ये मेरा’ के व्यूह में, बिखरी कोमल भावनाएं बंटी ज़मीं, गाँव, चौपाल, पर कैसे बाँटें मन के धागे सुख दुख के साथी संगी,…

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अनाम

कभी कभी चलते चलते कोई ऐसा शख्स मिल जाता है जो लगता है जाना पहचाना होकर भी अनजाना लगता है पहले देखा है कहीं या शायद की है कभी बात भी कुछ अपनापन या आत्मीयता…
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अपना कोई कोना

जीवन की आपाधापी, मन के भीतर का कोलाहल अंत: में पड़ी कुछ सिलवटें, यादों की उलझी गिरहें समय की गठरी में लिपटे कुछ दर्द पुराने कुछ कहानियां कुछ किस्से अनसुने मनमाने पूरा पुलिंदा लेकर बैठी…
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कोशिश

पुराने गिले शिकवों को मुल्तवी किया जाए क्यों न कोशिश कर नए ढंग से जिया जाए तल्ख़ आवाज़ों के शोर में जो डूब गयी ग़ज़ल इस ख़ामोशी को तरन्नुम में पिरो ही दिया जाए इस…

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उम्मीद

जब तूफानों में कश्ती कोई कहीं डगमगाती है उठती लहरों से बचने की तरकीब नज़र नहीं आती है तब छोर पे जलती लौ, व्याकुल नाविक का धैर्य बंधाती है और एक छोटी सी उम्मीद, उसे…
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A Stubborn Yellow Flower

A seed slept curled in Earth’s womb, Hoping to see the light, But the womb, parched and barren, Was wallowing in its plight. Then the seed felt an awakening, It’s flickering hope shone bright, A…
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पच्चीस दिन पच्चीस कविताएं

Day 1    समय आसमान धुला, नीला, धूप में खिला खिला रुई के मुलायम फुग्गे जैसे बादलों से खेलता वो समय याद हो आया, जब माँ सफेद यूनिफार्म नील लगाकर धूप में सुखाती थी लगा जैसे…

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