KavitaPoetry

छोटी सी बात


जिंदगी की दौड़ में

दौड़ते दौड़ते छूट गए हाथ जो

आओ अभी उन्हें थाम लो

कर दो बंद सब शिकायतें

नाराज़गियाँ किसी पुराने संदूक में

गिनती की सांसें हैं,

चुक न जाएँ कहीं

झुक जाओ अगर वो न झुकें

लगा लो गले जो न अल्फ़ाज़ मिलें

खोल दो घर के सभी दरवाजे खिड़कियाँ,

मुड़ के लौट न जाएँ वो यादों की हिचकियाँ

जो आधी रात उनींदे रोज दस्तक देती हैं

और सुबह के शोर में चुपचाप सो जाती हैं

थाम लो हाथ बिना ही किसी वजह

कारोबार की इस दुनिया में कोई अपना

फिर शायद

मिले ना मिले।

 

(Image Credit: Pixabay)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *