दिल पर इतना बोझ न रखो,
सिमटी इतनी सोच न रखो
ले उधार शब्द थोड़े से
दिल को जी भर कुछ कहने दोI
जोड़ तोड़ दुनियादारी में,
बेचारे मन को न कसोI
दो लम्हा मन की भी सुन लो,
पन्नों पर इसको बहने दोI
आंखों का तम छंट जाएगा
किरणों से कोमलता की,
न हो जाये पत्थर, इससे
पहले कुछ कह लेने दोI
कुछ अपनी भी कह लो तुम
कुछ औरों की सुन लेने दो
दिल पर इतना बोझ न रखो
सपने कुछ बुन लेने दो।
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(Image: Unsplash)
सुन्दर कविता…..
धन्यवाद
Awesome